मर्यादाओं की उड़ाई गई खुलेआम धज्जियां

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पुष्कर में हुआ करोड़ो रुपयों के मादक पदार्थो का कारोबार , वराह चौक , ब्रम्ह चौक सहित कई होटल्स में हुई ट्रांस पार्टियो ने किया पुष्कर तीर्थ की धार्मिक छवि को कलंकित  होली के पर्व पर धार्मिक नगरी पुष्कर में उमड़ा हजारो नशेड़ी युवाओं का हुजूम ,  तीन दिनों तक जमकर किया हुड़दंग , पवित्र सरोवर की मर्यादाओं की उड़ाई गई खुलेआम धज्जियां •••*
*होली के पर्व पर मथुरा वृंदावन पहुंचे श्रद्धालुओ की तादात 10 लाख के पार , अयोध्या में 5 लाख श्रद्धालु , काशी विश्वनाथ में 7 लाख श्रद्धालु , उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में 5 लाख श्रद्धालु , सालासर बालाजी में 3 लाख श्रद्धालु , खाटू श्याम जी मंदिर में 10 लाख श्रद्धालु भक्त । यह उन लोगो की संख्या है जो इन धार्मिक तीर्थ स्थलों में अपने आराध्य भगवान के साथ होली के त्यौहार को सेलिब्रेट करने के लिए पहुंचे थे । वही दुर्भाग्य से विश्व के एकमात्र जगतपिता भगवान ब्रम्हा की नगरी के रूप में विख्यात पुष्कर तीर्थ में होली खेलने के लिए एक लाख लोगों की भीड़ उमड़ी । लेकिन यह श्रद्धालुओ की नही बल्कि देश के कोने कोने से आये युवाओं की भीड़ थी ।  खास बात यह है कि इनमें से 50 हजार से ज्यादा नशेड़ी युवक युवतियों की ऐसी भीड़ पहुंची थी जिन्हें ना तो इस तीर्थ के आध्यात्मिक वातावरण से कोई लेना देना था और ना ही यहां की पुरातन मर्यादाओं और सरोवर की पवित्रता से कोई लेना देना । उन्हें तो बस नशे की आगोश में मदमस्त होकर नाचना , गाना , अश्लील हरकतें करना , यहां तक कि सेक्स करना और पूरी पूरी रात हुड़दंग करके होली जैसे पवित्र त्यौहार को अपने अंदाज में सेलिब्रेट ( बदनाम ) करना ही था । खास बात यह थी कि नशेड़ियों को होली सेलिब्रेट करवाने में किसी तरह की कोई कमी ना रह जाए इसके लिए हमारे ही पुष्कर के युवाओं ने एक से बढ़कर एक खास इंतजाम किये थे ।*
*इन आयोजनों को करवाने के पीछे पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को यह तर्क दिया गया कि कोरोना महामारी के चलते बीते दो सालों से होली का आयोजन नही हो पा रहा जिससे आर्थिक मार झेल रहे पुष्कर के सभी व्यापारी बहुत परेशान है ।  यदि होली महोत्सव की परमिशन दी जाए तो उन्हें व्यापार मिलेगा । यही वजह रही कि प्रशासन से निवेदन किया गया  होली के इस आयोजन में उनके द्वारा ज्यादा सख्ती न बरती जाए ताकि बाहर से आने वाले लोग इस त्यौहार को खुलकर एन्जॉय कर सके । परंतु पुष्कर का एक एक नागरिक इस बात का गवाह है कि बाहर से आने वाले नशेड़ियों ने बीते तीन दिनों में यहां क्या क्या गुल खिलाएं है । खुलेआम चरस स्मेक के उड़ते हुए धुंए के गुबार और शराब के नशे में मदहोश होकर घूमते युवाओं को यहां के बच्चे बच्चे ने अपनी आंखों से देखा है । हालात इतने बदतर है कि अभी तक भी सरोवर के घाटों के आसपास सैकड़ों शराब और बीयर की बोतलें बिखरी हुई पड़ी है । जिनकी वीडियो मेरे मोबाइल कैमरे में कैद है । हाथों में सिगरेट और शराब की केन लेकर अर्दनग्न हालात में मदहोश होकर झूमती हुई भारतीय लड़कियों को यहां के बाजार और घाटों पर जो आजादी मिली वैसी तो नशे के लिए बदनाम गोआ और मनाली जैसी जगहों में भी नही मिलती । ना जाने कितने युवाओं ने तो अपनी महिला पार्टनर के साथ सरोवर के घाट पर ही गंदी हरकतें तक अंजाम दे दी जिनमे से कुछ के तो फ़ोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए ।*
*होली के इस आयोजन के बाद एक और जहां यहां के व्यापारी खुश है , होटल व्यवसायी खुश है , कुछ तीर्थ पुरोहित भी खुश है । ऑटो , टेम्पो चालक सहित सभी लोग  खुश है । यदि हम यूं कहें कि चाय बेचने वाले से लेकर चरस स्मेक और शराब बेचने वालो तक सभी लोग खुश है तो गलत नही होगा । लेकिन पुष्कर तीर्थ को पूरी दुनिया मे कलंकित करने वाले इस होली महोत्सव को देखकर यहां दुःखी होने वाले लोगो की संख्या उन लोगो से कही ज्यादा है जो कुछ ही दिनों में मालामाल होकर खुशी मना रहे है ।  लेकिन यह नजारा देखकर दुःखी होने वाले लोगो की संख्या इनसे कही ज्यादा है लेकिन पता नही क्यों सब कुछ अपनी आंखों से देखकर भी वह चुप है । आज इस माहौल को देखने के बाद यहां के बुजुर्ग तीर्थ पुरोहित बहुत दुःखी है , सरोवर की परिक्रमा करने वाली महिलाएं बेहद नाराज है , यहां के संत महात्मा गुस्से में है , यहां के कई युवा जिन्हें यह सब कृत्य पसंद नही उनमें आक्रोश है , यहां के हजारो स्थानीय नागरिक और व्यापारी भी ऐसे है जो होली के नाम पर किये जा रहे इस हुड़दंग से परेशान है और चाहते है कि इस पर तत्काल रोक लगाई जाए ।*
*मेरा ब्रम्ह चौक पर आयोजित की गई पॉप सिंगर उमा शांति के आयोजकों ,  ट्रांस पार्टी के आयोजकों , ला बेला होली मंडल के पदाधिकारियों , यहां की सैकड़ो होटल और गेस्ट हाउस मे ट्रांस पार्टियों  आयोजित करने वाले उनके मालिको से पूछना चाहता हूं कि क्यों आप व्यापारियों की आड़ लेकर होली के दौरान ऐसे आयोजन करवाते है  जिससे पुष्कर जैसे महान तीर्थ की बदनामी हो रही है । यहां के आध्यात्मिज वातावरण में वेद मंत्रों की जगह नशे के धुएं से बनने वाले गुबार उड़  रहे है । आज आप लोगो के कारण यहां के पवित्र सरोवर की मर्यादाओ की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है । आज पुष्कर की आने वाली पीढ़ी भी इस हुड़दंग का हिस्सा बनकर नशे की लत का शिकार होने लगी है । मेरा आप सभी आयोजकों से सीधा सवाल है कि क्या अपनी अस्मिता के साथ खिलवाड़ करके , इस तीर्थ की मान मर्यादा को तार तार करके ,  सरोवर की पवित्रता को मिट्टी में मिलाकर ही यहां के व्यापारियों का व्यापार बढ़ाया जा सकता है ?*
*अनुमान के मुताबिक होली महोत्सव की आड़ में यहां पर बीते कुछ दिनों में करोड़ो रुपयों के मादक पदार्थो की बिक्री की गई । इस गोरखधंधे में लगे सैकड़ो युवक दो महीनों पहले से ही तैयारी में जुट गए थे  । यहां के मुख्य बाजारों सहित रेस्टॉरेंट , गेस्ट हाउस और बड़ी होटल्स सही जगह जमकर शराब , शबाब और मादक पदार्थ बेचे गए । होली के नाम पर सैकड़ो लड़कियों को जिस्म फरोशी के लिए यहां लाया गया । जिनमे से 2 को तो पुलिस ने रंगे हाथों गिरफ्तार भी किया  । चाय की दुकान से लेकर होटल गेस्ट हाउस में सभी जगह जमकर भांग लस्सी बेची गई जिसे पीने के बाद सैकड़ो लोगो की तबियत खराब हुई और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ा । पुलिस मित्र की टीम से जुड़े  कई लोगो को घाट पर शराब और नशे का सेवन करते हुए कई युवक युवतियों को रंगे हाथ पकड़ा । कई लोग घंटो तक बेहोशी की हालत में इधर उधर पड़े हुए नजर आए । होली महोत्सव के नाम पर जैसा शर्मनाक नजारा इस साल था  वैसा नजारा तो आज तक के इतिहास में पुष्कर में कभी नही देखा गया ।  आखिर क्यों विश्व के एकमात्र तीर्थ के रूप में विख्यात हमारी पुष्कर नगरी को नशे की मंडी के रूप में बदनाम किया जा रहा है ।*
*( अंत मे पुष्कर में होली महोत्सव करवाने वाले आयोजको , यहां के होटल व्यवसायियों , व्यापारियों , तीर्थ पुरोहितों , सामाजिक कार्यकर्ताओं और इन सबको बढ़ावा देने वाले हमारे जनप्रतिनिधियो से मेरा आग्रह है कि आप सभी शांत मन से चिंतन करे कि आखिर हम इस तीर्थ की पहचान दुनिया के सबसे अच्छे तीर्थ के रूप में करना चाहते है या नशे के लिए दुनिया की सबसे बदनाम जगह के रूप में ?  में भी दिल से चाहता हूं कि यहां के व्यापारियों को , स्थानीय लोगो को , होटल व्यवसायियों को खूब रोजगार मिले । लेकिन क्या हम इस होली महोत्सव को मथुरा , वृंदावन , अयोध्या , काशी विश्वनाथ , ऋषिकेश , महाकालेश्वर उज्जैन , सालासर बालाजी , खाटूश्याम जी जैसे अन्य तीर्थो की तरह धार्मिक आयोजनों के रूप में  आयोजित नही कर सकते । जब होली पर इन सभी तीर्थ स्थलों में हमसे कई कई गुणा ज्यादा भीड़ एकत्रित हो सकती है तो वैसे ही श्रद्धालुओ की भीड़ हमारे पुष्कर में क्यों नही आ सकती । आखिर क्यों हमे होली के नाम पर हजारो नशेड़ियों की भीड़ जमा करके ही पैसा कमाना है । यदि हम सभी लोग मिलकर सकारात्मक प्रयास करें तो पॉप सिंगर उमा शांति के कार्यक्रम की जगह अलग अलग तरह के कई धार्मिक आयोजन करके भी हजारो नही बल्कि लाखो की भीड़ एकत्रित की जा सकती है और सतयुग काल के इस महान पुष्कर तीर्थ का गौरव देश और दुनिया मे बढ़ा सकते है  । तो क्यों ना हम सभी पुष्कर वासी अगले साल से होली के पर्व पर एक नई शुरुआत करने का संकल्प करें जिससे इस तीर्थ के लोगो को रोजगार के साथ साथ मान सम्मान भी मिले और हम गर्व से कह सके कि में उस पुष्कर तीर्थ का निवासी हूँ जहां स्वयं भगवान ब्रम्हा जी विराजते हैं और दुनिया यहां पर शीश झुकाने आती है

सुदेश चंद्र शर्मा

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