*गहलोत साहब की ” रगड़ाई” कैसे हुई क्या यह जानना ज़रूरी नहीं ?*सोनिया !राजीव !राहुल! और प्रियंका को यह प्रशिक्षण कहाँ से मिला ? कोई बताएगा ?
*क्या पार्टी में “रगड़ाई- प्रकोष्ठ” बनाया जाना चाहिए ?
*देश को “मंहगाई” और कांग्रेस को “रगड़ाई” मार गई!
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*”रगड़ाई” शब्द अश्लील भी हो सकता है मगर जिन अर्थों में इसका प्रयोग राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया है उसमें अश्लील होने की संभावना बहुत कम है।विख्यात वकील और पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल को लेकर हाल ही में गहलोत साहब ने कहा कि वह अचानक और कृपा से पैदा हुए नेता हैं। कांग्रेस के चरित्र और संस्कारों से वह वाकिफ़ नहीं। उनकी पार्टी में रगड़ाई नहीं हुई। ज़ाहिर है कि गहलोत साहब लंबी रगड़ाई से पैदा हुए राजनेता हैं, इसलिए वह बेहतर तरीके से रगड़ाई शब्द के औचित्य को समझते हैं ।
*रगड़ाई शब्द पर टिप्पणी करने का मैं भी हक़दार नहीं ! क्योंकि मैंने बचपन से लेकर आज तक कभी रगड़ाई न तो की न करवाई। मगर सीनियर पत्रकारों ने “पिदाई” बहुत की। पत्रकारिता में भी रगड़ाई तो होती ही होगी। मगर मेरी तो नहीं हुई ।अन्य पत्रकारों के विषय में मुझे पता नहीं।
*”रगड़ाई” शब्द के राजनीति में जन्मदाता अशोक गहलोत ही हैं। इस शब्द में कड़ी मेहनत, समर्पण, और निष्ठा की पराकाष्ठा नज़र आती है। जिस तरह सेना में मूल प्रशिक्षण के दौरान हर सैनिक को रगड़ाई करवानी पड़ती है ।उसकी तरह तरह से कड़ी परीक्षा ली जाती है। उसे तरह-तरह के कष्टों से गुज़ार कर पुख़्ता बनाया जाता है उसी प्रकार कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को भी कड़ी परीक्षाओं से गुज़ारना चाहते हैं गहलोत जी।यह उनकी बहुत अच्छी बात है ।
*सचिन पायलट को लेकर भी उन्होंने यही शब्द इस्तेमाल किया था। सचिन पायलट युवा नेता हैं जो हो सकता है अशोक जी यह कारीगरी न सीख पाए हों मगर सिब्बल साहब तो उम्र में अशोक गहलोत के बराबर हैं। पार्टी के बड़े नेताओं ने उन्हें रगड़े जाने का अनुभव नहीं करवाया जबकि गहलोत बचपन से ही इस शब्द का अनुभव प्राप्त करते रहे ।
*रगड़ाई को मैं राजनीति की अतिरिक्त योग्यता मानता हूँ। लोग बिना पर्याप्त रगड़ाई करवाए पार्टी में आ जाते हैं ।सत्ता का सुख भोगने को आतुर रहते हैं ।अशोक जी इसके ख़िलाफ़ हैं।वे घोड़ी बनाने को प्राथमिकता देते हैं।
*अशोक जी से मेरा एक प्रश्न है! सवाल को अन्यथा ना लें! आदरणीय सोनिया गांधी ने कब किससे इस ख़ास शब्द का प्रशिक्षण लिया मैं आपसे जानना चाहता हूँ! स्वर्गीय राजीव गांधी ने पार्टी के संस्कारों को सीखने के लिए, कब किससे रगड़ाई करवाई❓️ सुना है कि वह तो हवाई जहाज उड़ाया करते थे। वे राजनीति में आना ही नहीं चाहते थे। उन्हें श्रीमती गांधी की मृत्यु के बाद जबरन राजनीति में लाया गया। उनकी रगड़ाई किसने कीं! बता दें तो उनकी कृपा होगी !
*अशोक जी राहुल गांधी को पार्टी का राष्ट्रीय मुखिया बनाना चाहते हैं। उनके “रगड़ाई प्रशिक्षण” के बारे में भी जानना चाहता हूँ। उन्होंने आख़िर किस कद्दावर नेता से ट्रेनिगं प्राप्त की❓️
*वैसे राहुल भैया की भी सच में रगड़ाई हो गयी होती तो राजनीति में उनको पप्पू जैसे जुमले नहीं मिलते। राहुल भैया की तो फिर भी हो सकता है चोरी छिपे रगड़ाई हो गई हो मगर प्रियंका गांधी के बारे में आपकी क्या राय है❓️ उनको यह प्रशिक्षण कब और किसने दिया❓️
*वाड्रा साहब के अलावा प्रियंका जी को राजनीति में किसने प्रशिक्षण दिया यह बात अभी भी लोग नहीं जानते!! उम्मीद है कि गहलोत साहब लोगों का ज्ञान वर्धन करेंगे।*
*राजनीति में रगड़ाई के बिना राष्ट्रीय सम्मान पाना नक़ली माना जाता है।*
*मुझे उम्मीद है कि राजनीति में आने वाली नई पीढ़ी ! इसके लिए गहलोत साहब से सीधा संपर्क करेगी ! वह निश्चित रूप से उनकी रगड़ाई कर ,उन्हें हीरा बना सकते हैं ।हीरे को चमकाने के लिए ज़बरदस्त रगड़ाई करवानी पड़ती है ।उसी प्रकार अच्छे नेताओं को भी भी अपनी रगड़ाई करवानी ही पड़ेगी ।
*चापलूसी! चमचागिरी! मक्कारी ! अवसरवादिता! धूर्तता! बड़बोला पन ! झूठ बोलना! वादे करना! गधे को बाप बनाना! यह सब राजनीति में बहुत ज़रूरी योग्यताएं मानी जाती हैं। जो “गहलोती रगड़ाई ” से ही पैदा हो सकतीं हैं ।
*मैं कांग्रेस के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ और माननीय गहलोत जी से उम्मीद करता हूँ कि वह कांग्रेस पार्टी में अलग से एक “रगड़ाई प्रकोष्ठ ” बना कर आने वाली नस्लों की जमकर रगड़ाई करेंगे, ताकि सच्चे कांग्रेसी देश का भविष्य बना सकें।
सुरेंद्र चतुर्वेदी
सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सियत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |
चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |
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