
सोनिया गांधी को कांग्रेस में एक रगड़ाई प्रकोष्ठ का गठन कर इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बना देना चाहिए। ताकि कांग्रेस में संगठन में किसी को पदाधिकारी या कभी भूले से किसी राज्य या केंद्र में सत्ता में आने पर ऐसे नेताओं को ही मंत्री बनाया जाए,जो कांग्रेस में रगडे जा चुके हो।
सचिन पायलट के विद्रोह के बाद से गहलोत की भाषा में जितना उतार आया है,उतना बीते 50 सालों की उनकी राजनीति में शायद ही किसी ने देखा-सुना हो। क्योंकि गहलोत की छवि सौम्य और सुलझे नेता की रही है । पायलट को भी उन्होंने निकम्मा,नालायक बताते हुए कहा था कि रगडाई हुए बिना कांग्रेस में सब कुछ मिल गया,इसलिए कद्र नहीं है। गांधी परिवार पर जब भी आंच जाती है,तो उससे गहलोत सुलग जाते हैं और इस तिलमिलाहट में वह भाषा का संयम खो देते हैं।
लेकिन सिब्बल की रगड़ाई के चक्कर में गहलोत अपने बयान में यह सच्चाई भी बता गए कि कांग्रेस में किसी भी नेता को संगठन व सत्ता में उसकी मेहनत या योग्यता से पद नहीं मिलता। बलि्क सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मेहरबानी से ही वह कुछ बन पाता है। गहलोत ने कहा कि कांग्रेसी संस्कृति में रगडाई होने के बाद ही एंट्री होती है। लेकिन सिब्बल को सोनिया के आशीर्वाद और राहुल के सहयोग से मंत्री बनने सहित बहुत अवसर मिल गए।
वैसे इस बात को गहलोत से ज्यादा कौन समझ सकता है। क्योंकि इस बार गहलोत मुख्यमंत्री वाकई सोनिया, राहुल,प्रियंका की मेहरबानी और सहयोग से ही बने हैं। वरना कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव सचिन पायलट का चेहरा आगे करके लड़ा था। लेकिन सत्ता मिलने के बाद गांधी परिवार की मेहरबानी से गहलोत ने बाजी पलट दी और सीएम बन गए। गहलोत को रगड़ाई प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनाकर रगड़ाई के मापदंड भी तय कर देने चाहिए कि कांग्रेस में किस स्तर पर कितनी रगड़ाई के बाद कार्यकर्ता रगड़ाई युक्त माना जाएगा और उसे इसके बाद बाकायदा एक प्रमाण पत्र देना चाहिए कि वह अब तक रगड़ाईयुक्त हो चुका है। इसलिए कांग्रेस में हर पद का हकदार है। पार्टी चाहे तो हर साल रगड़ाई की नई-नई विद्या सिखाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जा सकता है। और हां, एक सुझाव है, रगड़ाई की शुरुआत राहुल गांधी से की जानी चाहिए, जो बिना किसी अनुभव और योग्यता के सांसद और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक बन गए।