कॉलेज़ के लिए संघर्ष करने वालों पर मुक़द्दमा दर्ज़! किया गया या करवाया गया❓️
आस पास के गाँव उतरे समर्थन में! भिनाय के साथ आया मसूदा! दोनों प्रधान हुए साथ!
मुक़दमा आज !फ़ैसला अगले चुनावों में!
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*”रोम जल रहा था और नीरो बंसी बजा रहा था” ! यह अंग्रेजी कहावत अब अजमेर के भिनाय कस्बे में पूरी तरह फिट बैठ रही है ।भिनाय के लोग सड़कों पर बैठे हैं और विधायक बंसी बजा रहा है।*
*जनहित के लिए उठाई गई मांग का, जब आसपास के सारे गांव समर्थन कर रहे हैं तब विधायक का जन विरोधी रवैया लोगों को समझ में नहीं आ रहा। स्थिति तो यहां तक आ पहुंची है कि विरोध करने वालों के विरुद्ध पुलिस थाने में मामला दर्ज़ कर दिया गया है।(करवा दिया गया है) भिनाय थाने ने “भिनाय बचाओ संघर्ष समिति” के सदस्यों व अन्य गांव वालों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज़ हुआ है।*
*दूसरी तरफ संघर्ष समिति के कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जाकर बात कर ली है। इससे पहले भिनाय की सरपंच अर्चना सुराणा भी मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कह चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को तत्काल महाविद्यालय की इमारत के लिए भिनाय में ही स्थान रेखांकित करने की संभावनाओं पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।
*जन आक्रोश को देखते हुए भिनाय उपखंड अधिकारी संजू मीणा ने भिनाय महाविद्यालय की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक टीम का गठन किया है। जो सर्वे कर पता लगाएगी कि क्या महाविद्यालय का भिनाय में बनाए जाना संभव है ।टीम में नायब तहसीलदार, प्रभारी राजकीय महाविद्यालय, भूअभिलेख निरीक्षक और हल्का पटवारी को शामिल किया गया है ।
*इस सिलसिले में नायब तहसीलदार देवीलाल शर्मा और रमेश चंद सोनी, पटवारी रामस्वरूप तथा कार्यवाहक प्राचार्य सुचिता शर्मा ने, भिनाय प्रधान संपत राज जी व संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के साथ कॉलेज के लिए उपयोग ली जाने वाली ज़मीन का निरीक्षण किया।*🙋♂️
*इस बीच मसूदा पंचायत समिति की प्रधान मीनू कंवर ने भी आंदोलन को समर्थन देते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उनके पति सुरेंद्र सिंह राठौड़ ने तो स्पष्ट कह दिया है कि कुछ स्वार्थी तत्वों के लिए जन भावनाओं को ताक पर रखना ठीक नहीं ! पार्टी को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है। सरपंच अर्चना सुराणा पहले से ही संघर्ष समिति के साथ हैं।
*इस बार अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध रोधी संस्थान ने भी मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर कॉलेज इमारत भिनाय में ही बनाने की वक़ालत की है। संस्था के प्रदेश अध्यक्ष मनोज आहूजा ने ज्ञापन देकर स्पष्ट कर दिया है कि क्षेत्रीय विधायक राकेश पारीक की हठधर्मिता को जनता बर्दाश्त नहीं करेगी।
*यहाँ मज़ेदार बात यह रही कि शनिवार को कांग्रेस नेता और देवलिया कला के पूर्व सरपंच फतेह चंद जी महात्मा ने माननीय विधायक महोदय से दूरभाष पर बात की और आंदोलनकारियों को अवगत कराया कि शाम 7:00 बजे विधायक भिनाय आकर आंदोलनकारियों से बात करेंगे। सकारात्मक हल निकाले जाने की बात कही गई…. मगर 8:00 बजे तक इंतज़ार के बाद भी विधायक महोदय तशरीफ़ नहीं लाए। जानकारी मिली कि विधायक जी विजय नगर के राजनगर मोहल्ले में देर रात तक कव्वालियां सुनते रहे।
_*रोम जल रहा था और नीरो कव्वालियां सुन रहा था।
*लोगों को यह बात समझ में नहीं आ रही कि विधायक राकेश पारीक इतनी ज़िद पर क्यों आए हुए हैं ❓️
*पहली बार हुए आंदोलन में तो उन्होंने ख़ुद आंदोलनकारियों के बीच आकर वादा किया था कि कॉलेज भवन भिनाय में ही बनेगा।…. फिर ऐसा क्या हो गया कि उनका वादा छछूंदर गांव पहुंच गया❓️ उन्होंने प्रशासन को पत्र भ्रमित कर दिया ! भिनाय की जगह आदेश छछूंदरा के हो गए! भिनाय वालों को फिर से आंदोलन के लिए संगठित होना पड़ा।
*इस बार तो उन्हें मुक़दमा दर्ज़ होने का दंश भी झेलना पड़ रहा है। क्या विधायक महोदय यह अंतिम फ़ैसला कर ही चुके हैं कि वे किसी हाल में महाविद्यालय भवन भिनाय में नहीं बनने देंगे ❓️❓️
*यदि ऐसा है तो फिल्म अनारकली का डायलॉग मुझे दोहराना पड़ेगा।” सलीम!! अनारकली तुमको मरने नहीं देगी! और हम तुम्हें जीने नहीं देंगे !!”*
*…..और भिनाय के लोग पूरी तरह संगठित हो चुके हैं ।यह तय है कि सचिन पायलट के साथ रहने वाले विधायक का साथ कुछ ख़ास लोग भले ही दे दें ,पूरा जनसमुदाय उन्हें पराजित करके ही दम लेगा। इस बार भी सुमदाय जीतेगा और अगले चुनाव में इसका भुगतान भी करेगा ।
*जो मुक़दमा संघर्ष समिति पर आज दर्ज़ हुआ है उसका फ़ैसला अगले चुनाव में सुनाया जाएगा।
*बेहतर यही होगा कि ज़िद में आए नेता अपनी जिद छोड़ दें! वरना हालात गद्दी छोड़ने तक पहुंच जाएंगे! इसमें कोई “इफ़ एंड बट” नहीं चलने वाला। सारे बट निकल जाएंगे!*
सुरेंद्र चतुर्वेदी
सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सियत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |
चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |
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