गाँधीवादी गहलोत की नई आबकारी नीति और शराब कारोबारियों का होता मोह भंग,क्या सरकारी ख़ज़ाने को ले डूबेगा?‼️

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*क्या शराब कारोबारियों को फिर से आत्महत्याओं के दौर से गुज़रना पड़ेगा❓

*क्या दुकानों के नवीनीकरण का नाटक फ्लॉप शो साबित होगा❓

*क्या नक़ली और मिलावटी शराब का गोरखधंदा फूलेगा फलेगा❓

*क्या हथकढी शराब पीने को मजबूर होंगे पेवड़े❓

             *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
                     *गांधीवादी अशोक गहलोत सरकार ने इस बार बजट में जितनी तिलिस्मी घोषणाएं कीं, उसके बाद शराब के कारोबार को प्रोत्साहित करने की ज़रूरत रफ्तार पकड़ गई है। शराब से ही सरकारी ख़ज़ाने की सांसें चल पाएंगी, लेकिन वर्तमान आबकारी नीतियों के चलते लगता नहीं कि सरकारी ख़ज़ाने को किसी प्रकार से राहत मिल पाएगी।*
                   *राजस्थान के शराब कारोबारी आबकारी नीति से नाराज़ हैं। हाल ही में जारी हुई आबकारी नीति का विरोध हर तरफ से मुखर हो रहा है। आबकारी विभाग की ओर से 2 साल के लिए दुकानों के नवीनीकरण किए जाने की योजना का तो शराब कारोबारियों ने स्वागत किया मगर उसके साथ जोड़ी गई  शर्तों पर वे बिफर गए हैं ।*
                         *यह जोड़ी गई शर्तें उन्हें रास नहीं आ रहीं। यही वजह है कि अकेले अजमेर में 300 से अधिक दुकानें पड़त में रह गई हैं।*
                    *विभाग का कहना है कि इन पडतीली दुकानों की नीलामी 22 मार्च से शुरू की जाएगी ।अजमेर में मात्र 164 दुकानों का नवीनीकरण हुआ है।*
                             *राज्य सरकार ने पूर्व में जारी आदेश के तहत वित्तीय वर्ष 2021- 22 के लिए अंग्रेजी व देशी शराब की दुकानों के  कम्पोजिट मदिरा की दुकानों के आधार पर दुकानें आवंटित की थी। इसी के साथ राज्य की सभी 6 हज़ार से अधिक मदिरा की दुकानें गारंटी पूर्ति की श्रेणी में आ गईं। बस यही एक बात हुई जिससे शराब ठेकेदारों के लिए घाटे के हालात पैदा हो गए ।इसी वजह से शराब कारोबारियों का अपने कारोबार से मोहभंग हो गया है ।इतना पैसा अन्य कारोबार में लगाकर वे अपने आपको ज्यादा बेहतर और सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
                  *पूर्व में अंग्रेजी मदिरा की दुकानों के लिए गारंटी पूर्ति लागू नहीं थी। लिफ्टिंग के आधार पर मदिरा उठाई जाती थी। गारंटी पूर्ति नहीं करने से विभागीय जुर्माना अदा करना अब ठेकेदारों के वश की बात नहीं रही। यही एक वजह है कि विगत वित्तीय वर्ष में कई शराब कारोबारी टूट गए ।कईयों ने उधार चढ़ने पर आत्महत्या तक कर लीं। कई कारोबार छोड़कर अज्ञातवास पर चले गए। इस बार तो हालात और भी गंभीर होने वाले हैं ।
                           *आगामी वित्तीय वर्ष के लिए 2 साल के नवीनीकरण के साथ जो शर्तें लगाई गई हैं, वह ठेकेदारों के लिए लाभ की जगह घाटे का सौदा साबित होंगी। इसलिए अब ठेकेदारों का कहना है कि वे पहले से ही घाटे में हैं। कारोबार में लगी राशि का मूल भी उन्हें नहीं मिल पा रहा। ऐसे में वे इस कारोबार को जारी रख कर आत्महत्या के मोड पर पहुंचना नहीं चाहते।*
                  *इधर आबकारी सूत्रों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अजमेर जिले में मदिरा की कुल 472 दुकानें हैं जिनमें 164 दुकानों का नवीनीकरण हो पाया है। इस हिसाब से अधिकांश दुकानें आज भी नवीनीकरण से दूर हैं और पड़त में पड़ी हुई हूं।यदि ये दुकानें आगे भी पड़ी रहीं तो आबकारी विभाग का डब्बा गुल हो जाएगा। विभाग के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण है।*
                        *आबकारी विभाग को अंदाज़ा था कि नई आबकारी नीति के लागू होने पर अकेले अजमेर जिले को वित्तीय वर्ष में 770 करोड रुपए जो पिछले वर्ष से 80 करोड़  अधिक हैं प्राप्त हो जाएंगे, लेकिन ठेकेदारों की नाराज़गी और बेरुख़ी ने विभाग के अधिकारियों की नींद हराम कर रखी है ।वह जानते हैं कि वर्तमान नीतियों में संशोधन नहीं हुआ तो आय का निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करना नामुमकिन हो जाएगा।*
                       *यह कहानी सिर्फ़ अजमेर की ही नहीं पूरे राजस्थान की है। सभी जिलों में शराब की दुकानों का नवीनीकरण इसी रफ्तार से हो रहा है ।हर जिले के लिए निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल है ।यदि यही हाल रहा तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणाएं हवाई क़िले होकर रह जाएंगी।*
                        *आबकारी विभाग को उम्मीद है कि अगली 22 मार्च से जो नीलामी होंगी उनमें नवीनीकरण की रफ्तार तेज होगी। यदि 22 मार्च के बाद भी नवीनीकरण नहीं हुआ तो आबकारी आयुक्त कार्यालय से नए आदेश जारी होंगे ।आबकारी विभाग का कहना है कि कम बिक्री के कारण यदि ठेकेदार संबंधित जोन में ही दुकान की जगह बदलना चाहें तो बदल सकते हैं।
                  *इधर शराब ठेकेदारों का कहना है कि कम्पोजिट दुकान के तहत देशी व अंग्रेजी मदिरा के लिए दो लाइसेंस फीस अलग अलग से ली जा रही हैं जो तर्कसंगत नहीं हैं। इसके अलावा अमानत राशि पिछली बार 2% थी जिसे बढ़ाकर 5% कर दिया गया है। उनका यह भी तर्क है कि जब एक्साइज ड्यूटी ली जा रही है तो बी एल एफ  बेसिक लाइसेंस फीस लेने का क्या औचित्य है❓️
                   *इसके अलावा पूर्व में रिजर्व प्राइस 7 से 11% थी जिसे बढ़ाकर 12% कर दिया गया है। इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद गारंटी योजना भी लागू है ,जो पहले केवल देशी मदिरा पर ही लागू थी।*
                     *यहां मजेदार बात पब्लिक की तरफ से भी सुन लीजिए ! शराब की दुकानों पर नकली और मिलावटी शराब बेची जा रही है। जिले में मिलावटी शराब का कारोबार ज़ोरों पर है ।नई आबकारी नीति से यह कारोबार और भी तेजी से मिलावट में तब्दील होगा। दुकान में बैठकर शराब  पिलाना जो ग़ैर कानूनी है खुले आम ज़ारी है ।लगभग सभी दुकानों में अवैध मदिरालय चल रहे हैं ।इसी के साथ साथ गिलास, बर्फ़, नमकीन,चखने की बिक्री से भी पैसा कमाया जा रहा है।असली शराब में मिलावट कर भी कमाई ज़ारी है। निर्धारित समय के बाद और अवकाशों के दिन भी शराब चोरी छिपे बेची जाती है।प्रिंटेड रेट से ज़ियादा वसूली भी पेवड़ों से की जा रही है।पुलिस संरक्षण और आबकारी विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों के आशीर्वाद से यह कारोबार भी फल-फूल रहा है। बावजूद इसके भी यदि शराब कारोबारी इस व्यवसाय में रुचि नहीं ले रहे तो साफ़ ज़ाहिर है कि सरकार कहीं ना कहीं ग़लती कर रही है ।लग रहा है कि यदि नीतियों में बदलाव नहीं हुआ तो राजकीय राजस्व में भारी कमी आएगी और सरकार के लिए यह कमी सर दर्द पैदा करेगी।

सुरेंद्र चतुर्वेदी

सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सि‍यत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |

चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |

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