तकदीर ऐसी की पहाड़ से ग्रेनाइट निकल आया। सरकार का एक मंत्री भी बताया जा रहा है साझेदार।
25 वर्ष पहले किशनगढ़ के चंडक मार्बल पर नौकरी करते थे राजेन्द्र यादव।
देश में ग्रेनाइट पत्थर का सर्वाधिक उत्पादन करने वाले ग्रेनाइट किंग राजेंद्र यादव के संस्थान याशिका ग्रेनाइट के दफ्तरों और राजसमंद स्थित खान परिसरों में 8 मार्च को आयकर विभाग ने बड़ी छापामार कार्यवाही की। यह कार्यवाही कथित तौर पर वित्तीय अनियमितताओं के मद्देनजर की गई है। आमतौर पर मार्बल और ग्रेनाइट पत्थर जमीन के अंदर से निकाला जाता है। लेकिन राजेंद्र यादव की ऐसी तकदीर रही कि जो पहाड़ साधारण पत्थर निकालने के लिए लीज पर लिया गया, उसमें ग्रेनाइट पत्थर निकल आया। पहाड़ से निकलने वाले ग्रेनाइट की लागत कम होती है, इसलिए देशभर में यादव की खानों का पत्थर कीफायती दरों पर उपलब्ध होता है। एक अनुमान के अनुसार यादव की रामसमंद स्थित खदानों से प्रतिमाह 60 हजार टन ग्रेनाइट का उत्पादन होता है। उत्पादन को ध्यान में रखते हुए 8 मार्च को आयकर विभाग ने यादव के किशनगढ़ स्थित कार्यालय, निर्माणाधीन आवास, पुष्कर स्थित निर्माणाधीन रिसोर्ट और राजसमंद स्थित विभिन्न खान परिसरों में छापामार कार्यवाही की। यादव किशनगढ़ के ही रहने वाले हैं, इसलिए किशनगढ़ में आलीशान बहुमंजिला आवास बनवा रहे हैं। यादव के चार साझेदार बताए जा रहे हैं, इनमें राज्य सरकार का एक प्रभावशाली मंत्री भी शामिल है। जानकार सूत्रों के अनुसार यह मंत्री भी खदान कारोबार से जुड़ा हुआ है। यादव की खानों से निकलने वाले ग्रेनाइट की बिक्री देशभर में होती है। किशनगढ़ के मार्बल कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया कि 25 वर्ष पहले तक राजेंद्र यादव चंडक मार्बल पर नौकरी करते थे। इस संस्थान के अनुभव के आधार पर ही यादव ने रामसमंद में खानों को लीज पर लिया और फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा। राजनेताओं से दोस्ती करने का शोक यादव को है। कई बड़े नेताओं के साथ यादव के फोटो हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER
एस पी मित्तल
वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूँ | पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हूँ | यदि किसी पाठक के पास कोई सुझाव हो तो अवश्य दें | आपका एस.पी.मित्तल
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