*नेता जी की ज़िद कहीं कांग्रेस के लिए लाल बत्ती तो नहीं?*
*महाविद्यालय की इमारत में नींव का पत्थर डालने के लिए भिनाय के नामचीन नागरिक हुए संगठित!*
\*मेरे ब्लॉग को सम्मान देने के लिए भिनाय का आभार!!*
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*मैं समाचारों को ब्लॉग बनाकर पेश नहीं करता। ग़ज़ल को कव्वाली बनाकर गाने पर यक़ीन नहीं करता। रोज़ क्योंकि एक ब्लॉग पाठकों के लिए परोसना पड़ता है इसलिए विषय का चयन मेरे लिए सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी होती है। परसों नेता जी राकेश पारीक की राजनीति को लेकर मैंने ब्लॉग लिखा था, जिसमें विधायक राकेश पारीक की भिनाय कॉलेज़ को लेकर चल रही राजनीति पर तीखा तंज़ किया गया था। नेताजी भिनाय के साथ जाने अंजाने ही सही सौतेला व्यवहार कर रहे हैं ।महाविद्यालय के भवन को भिनाय की जगह छछूंदरा गांव में बनवाने की चालें चल रहे हैं। राजनीति की भले ही वह ए बी सी डी नहीं जानते हों मगर ख़ुद को और अपने मुट्ठी भर चाहने वालों के हितों को साधने के लिए छछूँदरा में कॉलेज़ खोलने के लिए आमादा नज़र आ रहे हैं ।*
*भिनाय (अजमेर) राजस्थान के लोग पहले भी महाविद्यालय को लेकर एकमत थे और अब फिर संगठित हो गए हैं। सरपंच अर्चना सुराणा और सभी पार्टियों के नेता इस मुद्दे पर भिनाय बंद का आह्वान कर चुके हैं ।कल भी भिनाय बंद था ।आज भी रहेगा। शायद तब तक रहे जब तक महाविद्यालय को लेकर गांव की मनोकामना पूरी ना हो जाए।
*यूँ इसी लिबास का आंदोलन भिनाय वासियों ने पहले भी किया था ।इसी मुद्दे पर ।…मगर तब विधायक राकेश पारीक और ब्रह्मदेव कुमावत जैसे नाम धारियों ने जनता को आश्वासन का लॉलीपॉप देकर बेवकूफ बना दिया था ।
*लगता है इस बार भिनाय के समझदार लोग पुराने ज़हर के घूंट का स्वाद चखने के बाद मैदान में उतरे हैं ।अनिश्चितकालीन बंद शुरू हो चुका है।
*मुझे बताया गया है कि सरपंच अर्चना सुराणा ने विगत दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर उन्हें भी महाविद्यालय को लेकर ज्ञापन दिया है ।उनका कहना है कि भले ही 21 मार्च को उनके विरुद्ध लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव पर, फ़ैसला कुछ भी हो ! वह महाविद्यालय का फ़ैसला गांव के हक़ में करवा कर ही दम लेंगी !भले ही इसके लिए उन्हें सरपंच पद को गंवाना ही क्यों ना पड़े!
*विधायक राकेश पारीक को लेकर जब उनसे फोन पर मैंने बात की तो उन्होंने कहा कि विधायक पारीक पर उन्हें अब भी पूरा विश्वास है । वे अपने मतदाताओं के मन की बात को सम्मान देंगे। उन्होंने कहा कि भले ही वह 21 मार्च को जैसा चाहें ,अपने चहेतों से करवाएं मगर कॉलेज़ के लिए भिनाय के अलावा किसी और जगह को न चुनें। यदि महाविद्यालय भिनाय में नहीं बना तो यह दुर्भाग्य, अगले चुनाव में कांग्रेस का पीछा करेगा।
*यहां आपको बता दूं कि सुराणा सरपंच चुनाव में इकतरफा मतों से विजयी हुई थीं। राज्य की वह सर्वाधिक पढ़ी लिखी सरपंचों में से एक हैं। भागवत गीता पर उन्होंने पी एच डी हासिल की है ।वह सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आई हैं।
*मुझे पता है कि इस मामले में विधायक राकेश पारीक ने यदि अपनी ज़िद नहीं छोड़ी तो उनका हाल “माल भी गया ,मांजना भी ” जैसी लोकोक्ति जैसा हो जाएगा।
*सचिन पायलट के बाड़े में कुछ समय बिताने के बाद वह कांग्रेसी पटकथा में वैसे भी नायक का किरदार तो निभा नहीं रहे। यह सत्य वह स्वयं भी जानते हैं।
*अर्चना जी के मुख्यमंत्री से मिलने के बाद और यह आश्वासन पाने के बाद कि भिनाय की जनता को उनका हक़ मिलेगा ,यह तय हो गया है कि भिनाय बंद बहुत दिनों तक नहीं चलेगा ।जल्द ही भिनाय के हक़ में ऐलान हो जाएगा।
*विधायक ना भी चाहें तो सरकार जनता के लिए तोहफा तैयार कर चुकी है। विधायक पारीक और उनके ख़ासों को इस मुद्दे पर बड़ी सावधानी बरतने की ज़रूरत है ।
*गांव वासियों ने जो संघर्ष समिति गठित की है उसमें जो नाम शामिल हुए हैं उनमें ओम प्रकाश जी आचार्य और एस एन कछोट जैसे शीर्ष नागरिक भी शामिल हैं। जिन का नाम भिनाय में बड़े सम्मान से लिया जाता है ।
*समिति में ओम जी आचार्य(अध्यक्ष) श्याम जी कछोट (उपाध्यक्ष) ,राकेश शर्मा, ताराचंद मेवाड़ा, रंग लाल माली, तारा प्रकाश जोशी, सुरेश चंद्र सेन, रतनलाल खींची, सुरेश सोनी, शंकर लाल मेवाड़ा, ओम प्रकाश भट्ट, महावीर आचार्य, दिलीप कुमार पवार, महावीर सैन, रामेश्वर माली ,पुखराज कछोट, गोपाल सोनी, जमील सिलावट , मोहम्मद शरीफ जुलाहा, निजाम देशवाली, और जीवन वैष्णव जैसे सम्मानित लोग शामिल हैं ।यह सभी ऐसे नाम हैं जो जनहित के मुद्दे पर राजनीतिक विचारधाराओं को ताक पर रखकर संगठित हुए हैं। भिनाय की राजनीति में इनके वजूद को नकारा नहीं जा सकता। यदि विधायक पारीक इनको नकारते हैं तो यह उनकी आखिरी भूल होगी।
*देखना यह है कि पारीक साहब का ऊंट किस करवट बैठता है और संघर्ष समिति में शामिल लोगों का किस तरफ❓️