विधायक राकेश पारीक भिनाय में कहीं “सेल्फ गोल” तो नहीं मार रहे?‼️

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*कहीं सरपंच अर्चना सुराणा को ठिकाने लगाने के चक्कर में भिनाय कांग्रेस की महायात्रा निकलना तय न हो जाए!!!

*बाड़ेबंदी का खेल 21 मार्च तक कौनसी करवट लेगा क्या पारीक इसका अंदाज़ा लगा पा रहे हैं?*
*चौंकाने वाले परिणाम आएंगे, यह तय है!!!
                *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
                               *मसूदा विधायक राकेश पारीक भिनाय की राजनीति को कहां ले जाना चाहते हैं, यह तो वही जानें, मगर हालात जो ज़ाहिर हो रहे हैं, उन से अंदाजा लगाया जा रहा है कि बहुत बड़ी उथल-पुथल होने वाली है। ख़ासतौर से जिस नाव में राकेश पारीक सवार है वह डूब भी सकती है । भिनाय में महाविद्यालय बनाए जाने के मुद्दे पर कांग्रेस दो फाड़ हो गई है ।जिस राकेश पारीक को चुनाव जिताने के लिए भिनाय की सरपंच अर्चना सुराणा ने अपने दिन-रात एक कर दिए थे ।धनकुबेर की भूमिका निभाई थी। उसी अर्चना सुराणा को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए ठिकाने लगाने के लिए लोगों की जीभ अजगर की तरह लपालपा रही है ।जो लोग राजनीति के इस टूर्नामेंट को खेल रहे हैं वे सभी विधायक राकेश पारीक के मोहरे बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि लोग साँप की बांबी में हाथ दे रहे हैं और राकेश पारीक पीछे से मंत्र उच्चारण कर रहे हैं ।*
                      *अविश्वास का प्रस्ताव रखने के मुद्दे पर बाद में बात करूंगा पहले बात कर ली जाए कि किस तरह कुछ प्रभावशाली लोग अपने सदस्यों को बाड़े बंदी में मौज़ करवा रहे हैं। हर दो-चार रोज़ में बाड़ों का स्थान बदला जा रहा है । प्रलोभन के सपने दिखाए जा रहे हैं। हाल यह है कि विधायक राकेश पारीक के समर्थक कहे जाने वाले ये बाहुबली किसी भी तरह कॉलेज़ की इमारत छछून्दरा गांव में बनाना चाहते हैं ।यह गांव भिनाय से 8 किलोमीटर दूर है ।*
                   *भिनाय में यदि जनमत संग्रह करवाया जाए तो गांव के 90% लोग यह चाहते हैं कि महाविद्यालय भिनाय में ही बनाया जाए ।गांव वालों ने इसके लिए पर्याप्त जगह भी रेखांकित कर रखी है ।*
                 *याद दिला दूँ कि इसके लिए भिनाय के संभ्रांत नागरिकों ने एकजुट होकर गुज़रे वक़्त आंदोलन भी किया था। बाजार बंद रखे गए थे ।आमरण अनशन किया गया था। इस आंदोलन में सरपंच अर्चना सुराणा ने सूत्रधार की भूमिका अदा की थी। कांग्रेस और भाजपा के नेता एक ही जाजम पर “स्थानीयवाद”  का नारा लगाकर संगठित हो गए थे। स्वयं विधायक राकेश पारीक ने आमरण अनशन पर बैठे लोगों को इस वादे के साथ उठाया था कि महाविद्यालय में भिनाय में ही बनेगा।*
                  *बाद में पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि उन्हें अर्चना सुराणा का बढ़ता प्रभाव रास नहीं आया। उन्होंने पिछले  रास्ते से प्रशासन पर महाविद्यालय छछूँदरा में ही खोले जाने की योजना बनवा ली। अब आदेश भी जारी हो गए हैं ।
                       *लोग दबी ज़ुबान में कह रहे हैं कि एक दिग्गज राजनेता व उनके चाहने वालों ने कॉलेज़ के आसपास की ज़मीन पहले से ही हथिया रखी है और वे जानते हैं कि कौड़ियों में ख़रीदी गई उनकी ज़मीन बेशक़ीमती हो जाएगी। बस किसी तरह कॉलेज़ वहां खुल जाए।
                     *मैंने इस पूरे मामले की तहक़ीक़ात अपने सूत्रों से की।जो तथ्य सामने आए, मुझे पता है कि उनसे  कई लोगों के ज़ायके ख़राब हो जाएंगे। क्यूंकि सच्चाई हमेशा कड़वी होती है ।
                        *विधायक राकेश जी यदि अर्चना को ठिकाने लगाने में क़ामयाब हो भी जाते हैं तो भी सवाल यह उठता है कि कहीं पारीक साहब सेल्फ गोल तो नहीं कर रहे। कहीं कांग्रेसी सरपंच को क़ुर्बान  किए जाने से उनकी ख़ुद की पार्टी पर पराजय का धब्बा नहीं लगेगा❓️
                    *वार्ड पंचों को उकसाया गया इसमें कोई दो राय नहीं ! अब एस डी एम पंचायत मुख्यालय पर वार्ड पंच सरपंच का मतदान करवाया जाएगा। अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया तो अर्चना का सरपंच पद कुर्बान होना तय है। यह बात अलग है कि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया तो भी 6 माह में उपचुनाव होने तक वह ही कार्यवाहक सरपंच बनी रहेंगी ।आगामी 21 मार्च को फैसला होगा। खुद की पार्टी को निपटाने का खेल ,अर्चना के बढ़ते प्रभाव पर स्पीड ब्रेकर लगाने के लिए किया जा रहा है। पर्दे के पीछे ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष व पंचायत समिति सदस्य का चुनाव हारने वाले विजय धाभाई व तुलसीराम खींची एक हो गए हैं।जो कभी सांप नेवले की तरह एक दूसरे के मुखर विरोधी हुआ करते थे।इन्होंने मिलकर पहले सरपंच की शिकायतें करवाईं। जांचें करवाईं। जिसमें विधायक पारीक ने कोई सहयोग नहीं किया।ज़ाहिर है वह अर्चना के साथ रहे।
                     *अब दो साल होते ही 16 मेम्बरों ने ब्लॉक अध्यक्ष विजय धाभाई व पूर्व सरपंच तुलसीराम खींची के नेतृत्व में जिला परिषद पहुंचकर अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है।लोग सवाल उठा रहे हैं कि कहीं विधायक पारीक कॉलेज़ के मामले में हुई बदनामी का बदला लेने के लिए तो अपनी ही पार्टी की सरपंच की छवि धूमिल करने के  लिए तो अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं करवा रहे❓️❓️*
                           *यहां यह तथ्य भी उल्लेखित किया जाना आवश्यक है कि तुलसीराम खींची जो खुद सरपंच रह चुका है तथा इन चुनावों में भी सामान्य महिला के लिए आरक्षित सीट पर अनुसूचित जाति का होने के बावजूद अपनी पत्नी को चुनाव लड़वा चुका है।। दूसरी तरफ़ तुलसीराम का ग्राम पंचायत की दुकानों पर बरसों से अवैध कब्जा मानते हुए पंचायती राज विभाग के आदेश से इन दुकानों से बेदखल करना भी पर्दे के पीछे काम कर रहा है।इन दूकानों पर ग्राम पंचायत ने कब्जा कर लिया है।।*
                 *लोग जानते हैं कि इस मामले में ग्राम पंचायत की सरपंच अर्चना सुराणा का कोई लेना देना नहीं था।यह कार्यवाही पूर्व पंचायत समिति सदस्य व कांग्रेसी नेता वहीद देशवाली की शिकायत पर की गई थी।लेकिन राजनीति में दुश्मन का दुश्मन दोस्त माना जाता है। उसी सिस्टम के आधार पर ये एक हो गए हैं। आज ये लोग गांव के विकास को ताक में रखकर राज्य की सबसे पढ़ी लिखी महिला सरपंच और प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली सरपंच को हटाने पर आमादा हैं। जबकि जिस कॉलेज के मुद्दे पर सरपंच सुराणा ने गांव का साथ देने के लिए अपनी ही कॉंग्रेस पार्टी के विधायक का विरोध किया आज वो ही लोग कॉलेज के मुद्दे पर चुप्पी साधकर गंदी राजनीति में शामिल होकर गांव का नुकसान करने में लगे हुए हैं। जो कॉलेज मुख्यमंत्री गहलोत ने भिनाय की जनता को सौगात में दिया था वो कॉलेज छछुंदरा में बनने जा रहा है और भिनाय के नेतागण खामोश बैठे हैं ,क्योंकि कांग्रेसी विधायक पारीक के दबाव में बोल नहीं पा रहे हैं और भाजपाई कुछ नहीं कर पा रहे हैं।*

सुदेश चंद्र शर्मा

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