वंचित बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने के लिए पुष्कर हुआ धन्य‼️

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*राज्य सरकार महिला दिवस पर दीपू महर्षि का करेगी सम्मान!*

_*वाह! मारा सांद्रिया !वाह गोदालुप तापिया और वाह दीपू महर्षि!*
_*बेटी बचा रहे हैं,बेटी पढ़ा रहे हैं, ग़रीबों को दे रहे हैं सर उठाने का हक़!*
               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
                          *पुष्कर के लिए गर्व की बात है कि महिला शिक्षा में अहम भूमिका निभाने वाली “फाउंडेशन फियोर दी लोटो इंडिया संस्था ” को राज्य सरकार, राज्य स्तर पर सम्मानित कर रही है। महिला दिवस पर जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम में आयोजित होने वाले सम्मान समारोह में विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिभाओं को सम्मानित किया जा रहा है , जिसमें पुष्कर की इस संस्था के प्रतिनिधि दीपू महर्षि को महिला व बालिका शिक्षा के उन्नयन में मील का पत्थर बनने के लिए सादर आमंत्रित किया गया है ।यह संस्था विगत दो दशकों से बालिकाओं को शिक्षा देने के लिए अभूतपूर्व योगदान दे रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ख़ुद दीपू महर्षि का सम्मान करेंगे।*
                      *यहां आपको बता दूं कि यह संस्था दो विदेशी मूल की महिलाओं के सपनों को पुष्कर की गुलाबी क्यारियों में बो रही हैं।शिक्षा से वंचित बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने वाली इन उत्साही विदेशी महिलाओं ने जो विगत 19 सालों में किया, वह राजस्थान में और कहीं ,किसी संस्था द्वारा नहीं किया गया ।यह राजस्थान की इकलौती ऐसी संस्था है जो बिना किसी भामाशाहों या सरकारी अनुदान के निजी तौर पर इतना बड़ा शिक्षा महायज्ञ आहूत  करती चली आ रही है। इस संस्था और विदेशी महिलाओं के प्रयासों को नमन करता हुआ मैं आज का अपना ब्लॉग लिख रहा हूँ।*🙋‍♂️
                     *फॉउंडेशन फियोर दी लोटो इंडिया के माध्यम से गरीबों और मजबूरों के चूल्हे बुझने नहीं दे रही मारा सान्द्री और गोदालुप तापिया को मैं पवित्र तीर्थ पुष्कर राज की पावन धरा पर सम्मानित होने के लिए बधाई देता हूँ।परम पिता ब्रह्मा जी की पुण्य स्थली को उन्होंने अपनी कर्मभूमि बना कर सच में पुनीत काम किया है।
                 *वे बेटी बचा रही हैं,बेटी पढ़ा रही हैं और ग़रीबों को दे रही हैं ।
                   *कोरोना ने जब भयावह रूप ले लिया था ।एक हाथ दूसरे हाथ की मदद करने में घबरा रहा था। जब सामाजिक संस्कारों के दम तोड़ने का सिलसिला जारी था ।संवेदनाएं आगमन प्रस्थान का रूप ले चुकी थीं।सभी मज़हबों के त्यौहार घरों तक सिमट गए थे।  सारे संस्कारों पर प्रतिबंध लग चुका था। सूरज जब अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता जा रहा था, तब जुगनुओं ने रौशनी देते रहने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया*
                  *इस सिलसिले में मैं बड़े सम्मान के साथ उन दो विदेशी महिलाओं को नमन करना चाहूंगा जो पवित्र पुष्कर राज में पूरी सक्रियता से सामाजिक दायित्वों का निर्वाह कर रही हैं।*
                          *कहने को यह महिलाएं विदेशी हैं। विदेशों में ही रहती हैं मगर धन्य है उनमें रच बस गई भारतीयता , जिसके तहत वे मुक्त हाथों से पुष्कर और उसके आसपास के क्षेत्र के निर्बल और निसहाय लोगों के  लिए न केवल चूल्हे जलाने का इंतजाम कर रही हैं बल्कि हर क्षेत्र में अपनी सहभागिता निभा रही हैं।*
                      *अजमेर जिले में मारा सानद्री और गोदालुप तापिया पायकर ऐसी दो महिलाएं विगत लंबे अरसे से “फाउंडेशन फियोर दी लोटो इंडिया” जैसी संस्था चला रही हैं।*
                             *बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ के हिंदुस्तानी नारे को अपने जीवन में कर्म मंत्र बनाने वाली ये दोनों महिलाएं पुष्कर के लिए वरदान साबित हो रही हैं।*
                 *मैंने जब इस संस्था और इन पराक्रमी महिलाओं के बारे में जानकारी हासिल की तो मुझे इनकी बहुआयामी सेवाओं के आयाम नज़र आए ।
                       *आइए बात करें इस संस्था द्वारा किए जा रहे कामों की ।फाउंडेशन की स्थापना 2003 को धार्मिक नगरी पुष्कर में हुई। उद्देश्य था बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ।ग्रामीण अंचल की उन बालिकाओं को नर्सरी से जोड़ना जिनके मार्ग को आर्थिक विपन्नता बाधित कर रही है ।ऐसी बालिकाओं को नर्सरी से कॉलेज तक निशुल्क शिक्षा प्रदान करना संस्था का परम ध्येय रहा ।संस्था का यह सफर 2003 से आज तक अनवरत  जारी है। सर्वप्रथम 2003 में 42 छात्राओं से शुरू हुआ शिक्षा का ये रथ, ये सफर अब 650 छात्राओं की शिक्षा तक पहुंच गया है ।सभी छात्राओ की समस्त शिक्षा निशुल्क दिलाई जा रही है।उनके माता पिताओं को घर तक बना कर दिए जा रहे हैं। इससे हर साल सैकड़ों बच्चियां जो निर्धन समाज से पढ़ने आती है उन्हें शिक्षा मिल पा रही है ।जिन छात्राओं के पास रहने को मकान नहीं ,उन्हें सुसज्जित फर्नीचर , कूलर, फ्रिज ,टी वी, पलंग , टेबल , कुर्सी आदि अन्य उपयोगी सामान दिया जा रहा है।*
                             *आप ताज्जुब करेंगे कि इस संस्था ने आसपास के लगभग 50 गांवों की छात्राओं को अब तक निशुल्क आवास बना कर दिए हैं।*
                     *जहां तक पेयजल का सवाल है यह संस्था ट्यूबवेल खुदवाने के लिए ग्रामीण इलाकों में पंचायत को 51हज़ार की सहायता देती है । संस्था ने बीसियों गांवों में पेय जल समस्या को ख़त्म कर दिया है।फाउंडेशन द्वारा शिक्षा के साथ-साथ गांधी जयंती के उपलक्ष पर हर साल 31 गरीबों को 400 रुपये मासिक पेंशन के रूप में निरंतर दिए जा रहे हैं ।कमाल की बात यह है कि यह संस्था 60 गरीब परिवारों को खाद्य सामग्री भी निरंतर देती आ रही है ।कोरोना काल मे संस्था द्वारा 300 परिवारों को हर माह पर्याप्त राशन देना कोई कम बात नहीं। फाउंडेशन द्वारा नगर में पिछले 5 वर्षों से लगातार ओस्टियोपेथिक कैंप लगाया जा रहा है। जिसका खर्चा लाखों में आता है। इससे अजमेर जिले सैकड़ों लोग लाभान्वित हो चुके हैं ।
                    *एक और काम यह संस्था करती है और वह है शिक्षक दिवस के उपलक्ष में 101 शिक्षक- शिक्षिकाओं को वर्ष 2006 से लगातार  सम्मानित करना।यही नहीं गरीब व्यक्तियों को संस्था द्वारा  मेडिकल सहायता भी प्रदान की जाती है।*
                       *फाउंडेशन द्वारा अन्य संस्थाओं को भी तरह तरह की सहायता दी जाती रही है ।*
                      *मुझे ताज्जुब तब हुआ जब मुझे यह पता चला कि यह संस्था कोरोना काल में सैंकड़ों मजदूरों को लगातार हर माह राशन दे रही है।*
                       *जो लोग इस संस्था से जुड़े हुए हैं उनका भी जिक्र यहां किया जाना बहुत ज़रूरी है।सर्वश्री शिव स्वरूप महर्षि, मनोहर सिंह राठौड़ ,श्री कमल अग्रवाल,गोविंद राम माली, नंदू लाल पंवार ,सुनील बाघ, ईश्वर पाराशर, श्रीमती लक्ष्मी महर्षि, श्रीमती योगिता सैनी, श्रीमती रीना बाघ, डॉक्टर राज करण बाघ,  कैलाश नाथ दाधीच, विष्णु सेन , नरपत सिंह राजपुरोहित , शक्ति सिंह शेखावत , भवानी शंकर उपाध्याय, दिलीप शास्त्री , कमल पाराशर, ,रोशन कुमार मिश्रा ।*
                 *इन सब नामों के बीच एक और लोकप्रिय नाम अभी ऐसा शेष रह गया है ,जो पूरी संस्था की रीड की हड्डी माना जा सकता है । ज्योति स्वरूप महर्षि उर्फ दीपू नाम का यह शख्स इस संस्था का अध्यक्ष है, और इसी व्यक्ति ने संस्था के यक़ीन को पूरी जिम्मेदारी से जीवित रखा हुआ है।*
                   *मैं पूरे ज़िले की तरफ से दीपू भाई और उनकी टीम का आभार व्यक्त करता हूँ।*
                        *विदेशी महिला मारा सान्द्री और गोदालुप को बधाई देता हूँ कि वे पवित्र पुष्कर राज में अपने पवित्र इरादों को फलीभूत कर रही है।🌹*
                *हाल ही में इस संस्था ने 151 निर्धन और बेरोज़गार महिलाओं को सिलाई मशीन बाँटने का फ़ैसला किया है ताकि शिक्षा के साथ वे अपनी आजीविका भी सुनिश्चित कर सकें।*💁‍♂️
                      *यहाँ आपको मज़ेदार बात भी बताना चाहूंगा ।जब पुरस्कार के चयन के लिए पुरस्कार समिति के सदस्य पुष्कर आए तो उनको यक़ीन नहीं हो रहा था कि कोई संस्था कोरोना काल मे जब सारी संस्थाओं के सेवा काम अर्थ अभाव में मृत प्रायः हो गए थे तब यह संस्था कैसे अपनी पुरानी व्यवस्थाओं को जीवंत रखे हुए थी।टीम ने हर तरह से ठोक बजा कर इस संस्था की गतिविधियों का अवलोकन किया और पाया कि यह अद्भुत काम संस्था के प्रतिनिधि दीपू महर्षि निहायत ईमानदारी और निष्ठा से कर रहे थे।👍*
                          *ब्लॉग के अंत में पुष्कर वासियों को बधाई देता हूँ कि उनके शहर को इस संस्था ने राज्य स्तर पर सम्मान दिलाया है। कामना करता हूँ कि राष्ट्रीय स्तर पर इस संस्था को सम्मान मिले। तथास्तु!!

सुदेश चंद्र शर्मा

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