राजनीति में जब “हैसियत” बांटी जा रही हों ,”ओहदे” परोसे जा रहे हों तब विधायक सुरेश टांक को देनी पड़ रही है अपने पाक साफ़ होने की गवाही‼️*

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_*महिला ने लगाया उन पर पद और प्रभाव का दुरुपयोग कर ज़मीन क़ब्ज़ाने का आरोप!*_😨
_*सुरेश टांक ने आरोपों को बताया उन्हें नाहक़ बदनाम करने का षड्यंत्र!*_🤨
_*कहा एक इंच ज़मीन पर भी क़ब्ज़े का आरोप सही हुआ तो दे देंगे पद से इस्तीफ़ा!*_🙋‍♂️
_*”सीमा ज्ञान” के बाद ही षड्यंत्र का हो सकेगा ख़ुलासा!*_💯
              *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
                         *राजस्थान की राजनीति बहुत खूबसूरत दौर से गुज़र रही है। मंदिरों में घंटियां बज रही हैं। आरती चल रही है। प्रसाद की शक़्ल में नेताओं को “हैसियत” बांटी जा रही हैं। मस्जिदों से अजान सुनाई दे रही है। “तबर्रूख” बांटा जा रहा है ।”तमगे और ओहदों” का बंटवारा हो रहा है।*😃
                                 *ऐसे शानदार समय में किशनगढ़ के विधायक सुरेश टांक की हैसियत को अग्नि परीक्षा से गुज़ारे जाना, मुझे चौंकाने वाला लगा। मैं तो सोच रहा था कि वे भी हैसियत की इस बंदरबांट में कहीं एडजस्ट हो जाएंगे मगर उनके राजमार्ग पर तो कुछ चाल बाज़ों ने आरोपों का “स्पीड ब्रेकर” लगाने का इंतज़ाम कर दिया है।*
                       *एक महान मातृशक्ति ने उन पर ज़मीन पर नाजायज़ क़ब्ज़ा करने का आरोप लगाया है। सोशल मीडिया पर महिला की कथा व्यथा और रुदन को इस तरह पेश किया जा रहा है कि विधायक सुरेश टांक को अपना पक्ष रखने के लिए यह कहना पड़ा है कि यदि उन पर ज़मीन अतिक्रमण के लगाए जा रहे आरोप सही हुए तो वह अपने विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे।*🙋‍♂️
                   *विधायक सुरेश टांक एक निष्ठावान विधायक के रूप में मशहूर रहे हैं ।उन्होंने अपनी बेदाग छवि को बरक़रार रखने के लिए कई वैतरनियाँ  तैर कर पार की हैं। यही वजह है कि “बाड़े बंदी”  से लेकर अब तक वे सत्ता की सहभागिता में पीछे छूटते रहे हैं।*😒
                  *दो-दो पैसों की हैसियत वाले नेता जब गहलोत की दरियादिली के आगे झोली फैलाए घूम रहे हों! जब चाटुकार और तलवा चाटने वालों को चांदी के थालों में सत्ता परोसी जा रही हो तब, सुरेश टांक अपने आप को पाक साफ़ साबित करने की क़वायद में व्यस्त कर दिए गए हैं।*🙄
                         *मामला किशनगढ़ क्षेत्र की 17 बीघा ज़मीन से जुड़ा है। ज़मीन विधायक सुरेश टांक के पुत्रों और उनके साथियों द्वारा बाक़ायदा नियमानुसार खरीदी गयी थी ।भूमि का  नामांतकरण भी खुला हुआ है। विवाद निर्मला धाभाई नामक महिला ने दर्ज़ करवाया है ।उसने पुलिस कप्तान विकास शर्मा के समक्ष शिक़ायत दर्ज़ करवाई है कि विधायक सुरेश टांक , अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए उनकी ज़मीन के कुछ हिस्से पर क़ाबिज़ हो गए हैं ।उनके पुत्रों और साथियों पर ज़बरन क़ब्ज़ा करने का आरोप लगाया गया है।*
                 *मामला बहुत मजेदार है। महिला निर्मला धाभाई की ज़मीन विधायक पुत्रों की ज़मीन से सटी हुई है। उनका मालिकाना हक़ 6 बीघा ज़मीन पर है। दस्तावेज़ पुख़्ता हैं। विधायक महोदय से जुडी ज़मीन सत्रह बीघा है। उनके पास भी दस्तावेज़ हैं। वो भी पुख़्ता ही हैं।  जब दोनों की ही ज़मीन के दस्तावेज़ पुख़्ता हैं तो विवाद कैसे पैदा हो गया ❓️😨*
                             *सवाल यही है जो उछाला जा रहा है ! दरअसल महिला निर्मला धाबाई का कहना है कि उनकी ज़मीन पर नाजायज़ क़ब्ज़ा कर लिया गया है । अब क़ब्ज़ा किसने किसकी ज़मीन पर किया है इस बात की ही जांच होनी है ।तभी सच्चाई का चेहरा भी साफ़ होगा।*
                   *इधर विधायक सुरेश टांक ने ज़िला कलेक्टर और ज़िला पुलिस कप्तान को पत्र लिखकर अपना पक्ष बेहद कठोरता से रख दिया है। उन्होंने जो सवाल उठाए हैं वह इतने मजबूत हैं कि यदि उन पर जांच की जाए तो पता चल सकता है कि किस तरह उन्हें व उनके पारिवारिक सदस्यों को बदनाम करने की नीयत से साज़िश की जा रही है।*😣
                  *मैं विधायक सुरेश टांक का वकील नहीं ।न ही उन पर लगाए गए आरोपों से मेरा कोई लेना देना है। मगर आरोप लगाए गए हैं तो सच्चाई भी सामने आनी ही चाहिए! बस इसी के लिए आपको बता रहा हूं कि जिस महिला ने ख़ुद को पीड़िता बताया है, उसकी मौके पर ज़मीन 8 बीघा से अधिक बताई जा रही है।*😨
                     *दस्तावेज़ी हक़ की बात की जाए तो वह मात्र 6 बीघा ज़मीन की ही हक़दार हैं। ज़ाहिर है कि मामला बहुत साफ़ है ।जब निर्मला धाभाई 6 बीघा ज़मीन की हक़दार हैं तो उनकी ज़मीन का सीमा ज्ञान प्रशासन को तत्काल करवा देना चाहिए। और उन्हें उनके हक़ की 6 बीघा ज़मीन का डीमार्केशन कर उन्हें सौप देनी चाहिए।*
                        *जिला कलेक्टर चाहें तो अपने मातहतों से 1 ही दिन में 6 बीघा ज़मीन नपवा सकते हैं। यदि उनकी ज़मीन छह बीघा से कम है तो निश्चित रूप से विधायक के परिवार पर लगाए गए आरोप सही हैं।*💯
                 *निर्मला जी का आरोप है कि उनकी 2 बीघा ज़मीन पर क़ब्ज़ा किया गया है ।ज़ाहिर है उनके पास मात्र 4 बीघा ज़मीन ही बचनी चाहिए…. मगर बताया जा रहा है कि मौके पर तो उनके पास 8 बीघा ज़मीन कब्जे में है । ये ज्यादा ज़मीन किसकी है ❓️कहीं विधायक महोदय के परिवार की तो नहीं❓️ क्योंकि  विधायक जी की ज़मीन तो  17 बीघा होनी चाहिए जो मौके पर मात्र 14 बीघा ही बताई जा रही है। उनकी बाक़ी ज़मीन कहां ग़ायब हो गई ❓️😨*
                *प्रशासन को तुरन्त जांच करवानी चाहिये।🙋‍♂️*
                  *विधायक सुरेश टांक ने आरोप लगाया है कि उन्हें राजनीतिक रूप से, एक स्क्रिप्टेड और फेब्रिकेटेड षड्यंत्र के तहत बदनाम किया जा रहा है ।उनकी बेदाग़ छवि  को आहत किया जा रहा है।*😩
                  *उन्होंने पुलिस कप्तान विकास शर्मा को जो पत्र लिखा है उसमें साफ़ कहा गया है कि यदि 1 इंच भी ज़मीन पर उनके परिवार का कब्जा पाया जाएगा तो वह कानूनी कार्रवाई में दोषी क़रार दिए जा सकते हैं।*
                     *व्यक्तिगत तौर पर उन्होंने कहा कि यदि सीमा ज्ञान के बाद उनको अतिक्रमण का दोषी मान लिया जाता है तो वह विधायक पद से त्यागपत्र दे देंगे।*
                         *इतनी बड़ी बात जब विधायक कह चुके हैं तो प्रशासन को दूध का दूध पानी का पानी कर ही देना चाहिए। इसके लिए तत्काल ज़मीन का सीमा ज्ञान होना ज़रूरी है। निर्मला धाभाई को  उनकी ज़मीन यदि किसी ने उस पर क़ब्ज़ा किया है तो वापस दिलानी ही चाहिए।चाहे वो कितना ही प्रभावशाली व्यक्ति क्यों ना हो।

सुदेश चंद्र शर्मा

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