आदि काल से लाइफ मैनेजमेंट के सर्वश्रेष्ट  गुरु  भोले नाथ  से जुड़े रोचक

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शिवजी केवल मृगछाल ही क्यों धारण करते हैं ? निसंदेह समाज में वो ही व्यक्तिवंदनीय होता हैं जो अपरिग्रही हो जिसके जीवन संसार में शांति स्थापित करने के लिएहो | महावीरस्वामी से हजारों साल पहिले भोलेनाथ ने अपरिग्रही बनने का सन्देश देते हुए खुद केशरीर पर मात्र मृगछाल धारण किया क्योंकि केवल मृगछाल धारण करना अपरिग्रह का हीप्रतीक है | अपरिग्रही वो होता है जो आवश्यकता से अधिक मात्रा मे धनवस्तुओं का संग्रह नहीं करता है | परिग्रह एक प्रकार का पाप है, क्योंकि किसीवस्तु का परिग्रह करने का अर्थ हुआ कि दूसरों को उस वस्तु से वंचित करना | निसंदेह शिवसर्व समाज के सर्वमान्य देवता हैं | शिवरात्रि व्रत मनाने का अधिकार ब्राह्मणसे लेकर चंडाल तक सभी को है| भोले बाबा के लिए सब एक समान हैं | भगवान शिवमहायोगी भी कहलाते हैं, उन्होंने योग साधना के द्वारा अपने जीवन को पवित्र कियाहै, वे असीमितगुणों के अक्षय भंडार हैं |

सुदेश चंद्र शर्मा

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