ब्यावर के जसवंत चौधरी मामले में क़ानून की अग्निपरीक्षा‼️
अदालत ने पुलिस जाँच को किया निर्वस्त्र: पुलिस के आला अधिकारियों पर बैठाई जाँच
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*ब्यावर के जसवंत चौधरी की अवैध गिरफ़्तारी का “फिल्मी करण” इन दिनों चर्चा में है पुलिस की कार्यप्रणाली पर हाईकोर्ट ने जिस तरह का हंटर मारा है उसकी आवाज़ राजस्थान पुलिस की छवि को किरकिरा कर चुकी है। विद्वान न्यायाधीश के फैसले ने पुलिस सिस्टम के कोलैप्स होने की पूरी कहानी लिख दी है ।किस तरह पुलिस का एक उच्च अधिकारी अपने आदेश को निरंकुश बनाकर अपने अधीनस्थों को सर्कस का शेर बना देता है! यह सब लिखित में सामने आ गया है।
*मामला ब्यावर के सिटी थाने का है। पिछले दिनों फ़र्ज़ी तरीके से ज़मीन के बेचान से जुड़ा है। शहर के एक सफ़ेदपोश प्रतिष्ठित व्यवसाई जसवंत चौधरी को इस मामले में पुलिस ने ग़ैर क़ानूनी तरीके से गिरफ़्तार कर जेल भिजवा दिया था। ताज़्ज़ुब तो अब यह है कि इस मामले को अदालत ने फैब्रिकेटेड माना है। जसवंत चौधरी को बिना ज़मानत लिए एक पल भी जेल में रहने को अमानवीय मानते हुए रिहा करवा दिया है ।यही वजह है कि यह मामला राजस्थान के इतिहास का पहला मामला बन गया है जब अदालत ने किसी गंभीर किस्म के अपराध में बंद व्यक्ति को निर्दोष मानते हुए बिना ज़मानत रिहा करने के आदेश दिए हैं ।
*जेल से बाइज़्ज़त रिहा होने के बाद जसवंत चौधरी ब्यावर लौट आये हैं।आते ही उन्होंने मुझे फोन पर अपने साथ हुई पूरी वारदात की पूरी जानकारी दी ।उन्होंने बताया कि जिन आरोपों में उन्हें ब्यावर की पुलिस ने गिरफ्तार किया ,उन मामलों में अदालत ने उन्हें पहले ही निर्दोष साबित कर दिया था ।
*विद्वान न्यायाधीश आली जनाब फ़रजंद अली साहब के इस चौंकाने वाले फ़ैसले में पुलिस महकमे का खाकी रंग बदनुमा दाग की तरह नज़र आने लगा है। इस दाग को धोने के लिए न्यायाधीश महोदय ने पुलिस के डीजीपी को आदेश दिए हैं ।आइए ज़रा एक नज़र मामले को अखबारों की नज़र से भी देख लें।*
*व्यवसाई जसवंत चौधरी ने अपनी गिरफ्तारी के 3 मामलों को अदालत में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय के समक्ष गुहार लगाई थी। न्यायाधीश आली जनाब फरजंद अली साहब ने पूरे मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस की पूरी जांच को फ़र्ज़ी और और असंवैधानिक बता कर तहस-नहस कर दिया है। *अनुसंधान अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश चौधरी! जांच अधिकारी शौक़त अली! तथा ब्यावर सिटी थाना प्रभारी संजय शर्मा को न्यायालय के समक्ष तलब किया गया। उन्हें बुरी तरह आड़े हाथों लिया गया। उनसे कहा गया कि आपने वास्तविक दोषी को गिरफ्तार न करके निर्दोष चौधरी को गिरफ्तार कर लिया। उन पर कार्रवाई बद नियति से की गई।कानून के प्रावधानों का दुरुपयोग किया गया ।*
*आली जनाब अली साहब ने यह भी कहा कि अनुसंधान अधिकारी प्रतिपक्ष पार्टी के साथ मिला हुआ है। चौधरी को उन्होंने ग़लत उद्देश्य से परेशान करने की नियत से गिरफ़्तार किया। जांच में कानून की धज्जियां उड़ाई गईं।अवैध गिरफ्तारी एवं जेल में रहने से चौधरी की स्वतंत्रता का जो हनन हुआ है वह मूल्यों में नहीं आंका जा सकता।*
*अली साहब ने राजस्थान पुलिस के डीजीपी एम एल लाठर को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे इन तीनों प्रकरणों की पुनः जांच जयपुर रेंज के किसी आईपीएस अधिकारी से करवाएं।*
*उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि जांच की रिपोर्ट 28 मार्च तक उन तक पहुंचा दी जाए.*
*दोस्तों !! यहां आपको बता दूं कि जसवंत चौधरी और उनके पुत्र पंकज चौधरी की ओर से संजय अग्रवाल, निर्मल खींवसरा , प्रकाश मल भडावत व अन्य लोगों के विरुद्ध धोखाधड़ी से ज़मीन हड़पने के संबंध में रिपोर्ट लिखवाई गई थी ।दो अलग-अलग प्रकरणों में अजमेर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक ने तैनात पुलिस अधीक्षक राजेश चौधरी को जांच के निर्देश दिए थे। जांच क्योंकि उनके निर्देशन में हो रही थी इसलिए जांच का स्वरूप उनके मुताबिक ही तय हुआ होगा। जांच में पिता को ही दोषी बता दिया गया। वह कहते रहे कि निर्दोष हैं। पूर्व में भी इस मामले पर कोर्ट उनको निर्दोष मान चुकी है ।आदेश दिखाने के बावजूद भी पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी।ज़िद पर आई पुलिस ने जसवंत चौधरी को जेल भेज कर ही दम लिया।*
*अब इन सभी अधिकारियों की नौकरी ख़तरे में पड़ गई है। पुलिस सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं। जांचकर्ता सवालों के कटघरे में खड़े हैं।पुलिस की जितनी भद्द उड़ सकती है उड़ रही है।*
*सवाल यह उठता है कि ऐसा न जाने कितने ही मामलों में होता रहा होगा।यह तो गनीमत है कि गिरफ़्तारी के विरोध में जसवंत चौधरी अदालत तक पहुंच गए।मुक़द्दर अच्छा था जो आली मोहतरम फ़रजन्द अली साहब जैसे न्यायाधीश ने उनकी व्यथा कथा पर संज्ञान ले लिया , वरना न जाने कितने निर्दोष जसवंत चौधरी जेलों में निर्दोष होने के बावज़ूद बन्द होंगे।मानवीय मूल्यों की अवहेलना हो रही होगी।जसवंत जी सम्पन्न परिवार के थे इसलिए उन्होंने अपने साथ हुई क्रूरता का प्रतिशोध ले लिया वरना ग़रीब जसवंतों की सुनने वाला कोई नहीं होगा।*
*इस मामले में डी जी पी लाठर साहब को अब कुछ ऐसी व्यवस्थाएं देनी चाहिए कि भविष्य में कोई और निर्दोष जेल की सींखचों में नहीं पहुंचाया जा सके।उम्मीद की जानी चाहिए कि अदालत द्वारा अब जयपुर रेंज के किसी आई पी एस द्वारा जो जांच की जाएगी वह निर्दोषों के लिए वरदान और दोषियों के लिए अभिशाप सिद्ध होगी।साथ ही इस मामले के पीछे छिपे पुलिस अधिकारियों के चेहरे भी बेनक़ाब किए जाएंगे।उनको भी अपनी करनी का भुगतान करवाया जाएगा।ऐसा हो सका तभी क़ानून की जीत हो पाएगी।*