⛅ *दिनांक – 24 फरवरी 2022*
⛅ *दिन – गुरुवार*
⛅ *विक्रम संवत – 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन – उत्तरायण*
⛅ *ऋतु – वसंत ऋतु*
⛅ *मास – फाल्गुन (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार- माघ)*
⛅ *पक्ष – कृष्ण*
⛅ *तिथि – अष्टमी शाम 03:03 तक तत्पश्चात नवमी*
⛅ *नक्षत्र – अनुराधा दोपहर 01:31 तक तत्पश्चात जेष्ठा*
⛅ *योग – हर्षण 25 फरवरी रात्रि 02:59 तक तत्पश्चात वज्र*
⛅ *राहुकाल – दोपहर 02:19 से शाम 03:46 तक*
⛅ *सूर्योदय – 07:04*
⛅ *सूर्यास्त – 18:39*
⛅ *दिशाशूल – पश्चिम दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण –
💥 *विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *घर में सुख-सम्पत्ति लाने के लिए* 🌷
🐄 *गाय के दूध के दही में थोडा जौ और तिल मिला दें | फिर उससे रगड़-रगड़कर*
🌷 *“ॐ लक्ष्मीनारायणाय नम: ॐ लक्ष्मीनारायणाय नम: |” जप करके स्नान करें | – पूज्य बापूजी*
🙏🏻 *-ऋषिप्रसाद – जुलाई २०१४ से*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *श्रद्धा -भक्ति बढ़ाने हेतु* 🌷
🙏🏻 *गीता के १२ वें अध्याय का दूसरा (२) और बीसवां (२०) श्लोक .. केवल दो श्लोक का पाठ करके… भगवद गीता हाथ में रख कर..हम शुभ संकल्प करें कि ” हे भगवन ! आप ने ये दो श्लोकों में जो परम श्रद्धा की बात बताई है वो हमारी हमारे गुरु चरणों में हो जाये ” तो वो वचन भगवान के हैं …भगवान सत्स्वरूप हैं तो उनके वचन भी सत है और हम उन वचनों का पाठ करके संकल्प करें तो जो सचमुच अपने गुरु में श्रद्धा भक्ति बढ़ाना चाहते हैं उनका संकल्प भी ऐसा ही हो जाएगा ।*
🌷 *शोल्क :-*
*मय्यावेश्य मनो ये मां नित्ययुक्ता उपासते।*
*श्रद्धया परयोपेतास्ते मे युक्ततमा मताः।।2।।*
🙏🏻 *श्री भगवान बोलेः मुझमें मन को एकाग्र करके निरन्तर मेरे भजन-ध्यान में लगे हुए जो भक्तजन अतिशय श्रेष्ठ श्रद्धा से युक्त होकर मुझ सगुणरूप परमेश्वर को भजते हैं, वे मुझको योगियों में अति उत्तम योगी मान्य हैं।(2)*
🌷 *ये तु धर्म्यामृतमिदं यथोक्तं पर्युपासते।*
*श्रद्दधाना मत्परमा भक्तास्तेऽतीव मे प्रियाः।।20।।*
🙏🏻 *परन्तु जो श्रद्धायुक्त पुरुष मेरे परायण होकर इस ऊपर कहे हुए धर्ममय अमृत को निष्काम प्रेमभाव से सेवन करते हैं, वे भक्त मुझको अतिशय प्रिय हैं।(20)*
🌷 *उम्र बढाने हेतु* 🌷
🙏🏻 *स्कन्द पुराण में आया है कि भोजन करते समय ५ अंग धोकर जो भोजन करता है उसकी उम्र १०० साल की होती हैं … उसकी आयु बढ़ती है ५ अंग …२ हाथ ….२ पैर… और मुंह धोकर भोजन करने बैठें ।*