परिचय

जनपत्र की स्थापना करने के पीछे की मूल सोच लोगों को अपनी बात कहने का अवसर देना था | यह पूर्ण रूप से भारतीय व्यवस्था है | हमारे लेखकों, रचनाकारों, पाठकों, दर्शकों और भागीदारों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। एक सभ्य समाज की स्थापना में हमारी साझा जिम्मेदारी है | कई बार समाचार लिखते वक्त हम भी व्यथित हो जाते हैं | पत्रकारों के रूप में हमें समाज के सबसे घटिया समाचार को भी कवर करना होता है |

भरस्टाचार भारतीय व्यवस्था का अंग बन चूका है | इस भरस्टाचार के कारण भारतीय लगातार गरीब होते जा रहे हैं | सरकार सरकार के राजस्व का भी एक बड़ा हिस्सा यह भरस्टाचार चट कर जाता है | हम भरस्टाचार के मित्र नहीं  हो सकते | हमारा काम है भारत के लोगों की भलाई के लिए इन लोगों को एक्सपोज करना | स्वतंत्र मिडिया भारतीय डेमोक्रेसी का चौथा स्तम्भ है | हम सिर्फ अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहें हैं |

फिर भी हम पाठकों, अधिकारीयों और प्रभुद्ध जनों से  लगातार गोपनीय रूप से प्रतिक्रिया लेते रहते हैं | इस पत्र का नाम ही जनपत्र है | आप के हर सुझाव आलोचना का हम स्वागत करते हैं | और भविष्य में भी करते रहेंगे | कुछ प्राप्त सुझावों के आधार पर लेखन दिशानिर्देशों का फ्रेमवर्क तैयार किया गया है | आप सभी इस फ्रेमवर्क को पढ़ें और प्रभुद्ध जन अपने सुझाव दें | हम संकल्पबद्ध हैं की जनपत्र को आपके लिए हमेशा बेहतर बनाते रहेंगे |